कनक भवन में होने वाले उत्सव

श्री राम जन्मोत्सव (रामनवमी) चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल 9 तक शाम को रामजन्म की बधाई होती है। नवाह्न-रामायण कथा प्रवचन भी होता है। नवमी के दिन, दिन में 12 बजे जन्मोत्सव होता है। आरती का दर्शन अति आनन्ददायक तथा प्रसाद भी वितरण होता है।

श्री जानकी-जन्म-उत्सव वैशाख शुक्ल पंचमी से पूर्णिमा तक नित्य शाम को बधाई होती है। नवमी को दिन में 12 बजे जन्मोत्सव मनाया जाता है। पूर्णिमा को श्री चारुशीलाजी का जन्मोत्सव होता है।

ज्येष्ठ के किसी दिन फूलबंगला की झाँकी होती है। फूलों के काम का बंगला बनाकर उसमें श्रीकनकभवन विहारी जी युगल सरकार की झांकी होती है।

श्रावण झूला-श्रावण शुक्ल तीज से आरम्भ होकर पूर्णिमा तक नित्य नवीन झांकी सजावट के साथ होती है। झूले पर श्री कनकभवन विहारी जी युगल सरकार विराजते हैं। श्रावण तीज की मणिपर्वत जाने की सवारी का दृश्य दर्शनीय है।

भाद्रपद में जन्माष्टमी, अनन्त चतुर्दशी के उत्सव होते हैं।

क्वार में नवदुर्गा पूजन नवाह क्वार सुदी 1 से 9 तक होता है। शस्त्रादि पूजन, ध्वजारोहण का कार्यक्रम विधिवत मनाया जाता है। दशमी के दिन सायंकाल दरबार की झांकी होती है। क्वार सुदी पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा का दरबार होता है।

कार्तिक में श्रीहनुमत्-जयन्ती, महालक्ष्मी पूजन, दीपावली, अन्नकूट, तथा ग्यारस (देव उत्थानी एकादशी) का पूजन समारोह के साथ होता है।

अगहन शुक्ल पंचमी को श्री सीताराम जी का विवाह महोत्सव होता है। बारात (प्रोसेशन) की सजावट द्वारपूजा तथा अन्य विधिवत विवाह सम्बन्धी पूजन होकर श्री युगल सरकार कनकभवन विहारिणी विहारी जू की भांवरी का दर्शन अति उत्साह के साथ होता है। अगहन शुक्ल सप्तमी को श्री रामकलेवा दरबार की झांकी होती है।

पूस बदी दूज को गौना उत्सव की झांकी व दरबार होता है।

माघ सुदी पंचमी को बसन्त उत्सव मनाया जाता है। दरबार सायं काल में होता है। पंचमी के बाद होली तक प्रति मंगल, एकादशी, अमावस्या व पूर्णिमा को झांकी होती है।

फाल्गुन पूर्णिमा को दिन में 3 बजे से 5 बजे तक रंग होली का दरबार होता है।

चैत्र बदी 1 को सायंकाल में दरबार व श्री रूपसखी जी की होली अबीर गुलाल की होती है।

नोट-उपरोक्त सभी उत्सवों में प्रसाद वितरण आदि का विशेष प्रबन्ध किया जाता है।


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